श्री राम मंदिर, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का देश एवं विश्व के भक्तों निवेदन

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श्री राम मंदिर

श्री राम मंदिर एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है जो वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश के अयोध्या में निर्माणाधीन है। यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है। पहले, इस स्थान पर बाबरी मस्जिद थी, जिसका निर्माण एक मौजूदा गैर-इस्लामी ढांचे को ध्वस्त करने के बाद किया गया था, जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया था। २०१९ में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित भूमि पर फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि यह भूमि हिंदुओं की है, जो इस पर राम मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए ज़मीन का एक अलग टुकड़ा दिया जाएगा।अदालत ने साक्ष्य के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद के नीचे एक गैर-इस्लामिक संरचना की मौजूदगी का सुझाव देने वाले सबूत दिए गए थे।
राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए भूमिपूजन ५ अगस्त २०२० को किया गया था। वर्तमान में निर्माणाधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा की जा रही है। मंदिर का उद्घाटन २२ जनवरी २०२४ को निर्धारित है।

प्राचीन एवं मध्यकालीन

राम एक हिंदू देवता हैं जो विष्णु के अवतार माने जाते हैं। प्राचीन भारतीय महाकाव्य, रामायण के अनुसार, श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।

१६वीं शताब्दी में, बाबर ने पूरे उत्तर भारत में मंदिरों पर आक्रमण की अपनी श्रृंखला में मंदिर पर हमला किया और उसे नष्ट कर दिया। बाद में, मुगलों ने एक मस्जिद, बाबरी मस्जिद का निर्माण किया, जिसे राम की जन्मभूमि, राम जन्मभूमि का स्थान माना जाता है। मस्जिद का सबसे पहला रिकॉर्ड १७६७ में मिलता है, जो जेसुइट मिशनरी जोसेफ टिफेनथेलर द्वारा लिखित लैटिन पुस्तक डिस्क्रिप्टियो इंडिया में मिलता है। उनके अनुसार, मस्जिद का निर्माण रामकोट मंदिर, जिसे अयोध्या में राम का किला माना जाता है, और बेदी, जहां राम का जन्मस्थान है, उसे नष्ट करके किया गया था। धार्मिक हिंसा की पहली घटना १८५३ में दर्ज की गई थी, दिसंबर १८५८  में, ब्रिटिश प्रशासन ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा (अनुष्ठान) आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया। एवं मस्जिद के बाहर अनुष्ठान आयोजित करने के लिए एक मंच बनाया गया था।

आधुनिक युग

२२-२३ दिसंबर १९४९ की रात को बाबरी मस्जिद के अंदर राम और सीता की मुर्तियाँ स्थापित की गईं और अगले दिन से भक्त इकट्ठा होने लगे। १९५० तक, राज्य ने सीआरपीसी की धारा १४५ के तहत मस्जिद पर नियंत्रण कर लिया और मुसलमानों को नहीं, बल्कि हिंदुओं को उस स्थान पर पूजा करने की अनुमति दी।

१९८० के दशक में, हिंदू राष्ट्रवादी परिवार, संघ परिवार से संबंधित विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने हिंदुओं के लिए इस स्थान को पुनः प्राप्त करने और इस स्थान पर शिशु राम (राम लल्ला) को समर्पित एक मंदिर बनाने के लिए एक नया आंदोलन शुरू किया। विहिप ने “जय श्री राम” लिखी ईंटें और धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया। बाद में, प्रधान मंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने विहिप को शिलान्यास के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी, तत्कालीन गृह मंत्री बूटा सिंह ने औपचारिक रूप से विहिप नेता अशोक सिंघल को अनुमति दी। प्रारंभ में, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार इस बात पर सहमत हुई थी कि शिलान्यास विवादित स्थल के बाहर किया जाएगा। हालाँकि, ९ नवंबर १९८९ को, वीएचपी नेताओं और साधुओं के एक समूह ने विवादित भूमि के बगल में२००-लीटर (७-क्यूबिक-फुट) गड्ढा खोदकर आधारशिला रखी। वहीं गर्भगृह का सिंहद्वार बनवाया गया। इसके बाद विहिप ने विवादित मस्जिद से सटी जमीन पर एक मंदिर की नींव रखी। ६ दिसंबर १९९२ को, वीएचपी और भारतीय जनता पार्टी ने इस स्थल पर १५०,००० स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए एक रैली का आयोजन किया, जिन्हें करसेवकों के रूप में जाना जाता था। रैली हिंसक हो गई, भीड़ सुरक्षा बलों पर हावी हो गई और मस्जिद को तोड़ दिया।

वास्तुकार

राम मंदिर का मूल डिज़ाइन १९८८ में अहमदाबाद के सोमपुरा परिवार द्वारा तैयार किया गया था। सोमपुरा ने कम से कम १५ पीढ़ियों से दुनिया भर में १०० से अधिक मंदिरों के डिजाइन में योगदान दिया है, जिसमें सोमनाथ मंदिर भी शामिल है। मंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा थे, उनकी सहायता उनके दो बेटे, निखिल सोमपुरा और आशीष सोमपुरा ने की, जो वास्तुकार भी हैं। मूल से कुछ बदलावों के साथ एक नया डिज़ाइन, २०२० में सोमपुरा द्वारा तैयार किया गया था, हिंदू ग्रंथों, वास्तु शास्त्र और शिल्पा शास्त्रों के अनुसार। मंदिर २५० फीट चौड़ा, ३८० फीट लंबा और १६१ फीट (४९ मी॰) होगा ऊँचा। एक बार पूरा होने पर, मंदिर परिसर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। इसे नागर शैली की वास्तुकला की गुर्जर – चालुक्य शैली में डिज़ाइन किया गया है, जो एक प्रकार की हिंदू मंदिर वास्तुकला है जो मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाई जाती है। प्रस्तावित मंदिर का एक मॉडल २०१९ में प्रयाग कुंभ मेले के दौरान प्रदर्शित किया गया था। मंदिर की मुख्य संरचना तीन मंजिला ऊंचे चबूतरे पर बनाई जाएगी। इसमें गर्भगृह के मध्य में और प्रवेश द्वार पर पांच मंडप होंगे । एक तरफ तीन मंडप कुडु, नृत्य और रंग के होंगे, और दूसरी तरफ के दो मंडप कीर्तन और प्रार्थना के होंगे। नागर शैली में मंडपों को शिखरों से सजाया जाता है।

श्री राम जन्मभूमि मंदिर

  • श्री राम मंदिर का निर्माण परमपरागत नागर शैली में किया गया है।
  • मंदिर की लम्बाई पूर्व-पश्चिम ३८० फीट एवं चौड़ाई २५० फीट और ऊंचाई १६१ फीट है।
  • मंदिर तिन मंजिला है, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई २० फीट है एवं मंदिर में कुल ३९२  खम्भा और ४४ दरवाजा है।
  • भू-तल गर्भगृह में प्रभु श्री राम के बाल रूप(श्री रामलला) का विग्रह, प्रथम तल गर्भगृह में श्री राम जी का दरबार लगेगा।
  • मंदिर प्रांगन में कुल पांच मंडप है, नृत्यमंडप, रंगमंडप, गूढ़ मंडप(सभा मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप।
  • खम्भे और दीवारों में देवी-देवताओं एवं देवांगनाओं की मूर्तियाँ रहेंगी।
  • प्रवेश पूर्व दिशा से ३२ सीढ़ियों (ऊंचाई १६.५  से चढ़ कर सिंहद्वार से प्रवेश।
  • मंदिर में दिव्यान्ग्जन तथा वृद्धों के लिए रैंम्प एवं लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है।
  • चारों ओर आयताकार परकोटा (प्राकार)-लम्बाई  ७३२ मीटर, चौड़ाई ४.२५ मीटर,परकोटा के चार कोनों पर चार मंदिर है जिनमे भगवान् सूर्य, शंकर, गणपति एवं देवी भगवती विराजमान होंगीं, परकोटे की दक्षिणी भुजा में हनुमान जी एवं उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा का मंदिर है।
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप स्थापित है।
  • श्री राम जन्मभूमि मंदिर के परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर जो कि महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वसिष्ट, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, माता शबरी, निषादराज एवं देवी अहिल्या जी का मंदिर भी बनेगा।
  • दक्षिणी-पश्मिनी भाग में नवरत्न कुबेर टीले पर स्थित शिव मंदिर का जीर्णोधार एवं रामभक्त जटायुराज की प्रतिमा की स्थापना।

निवेदन

श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र द्वारा विश्व के तमाम रामभक्तों से निवेदन किया गया है की आगामी पौष शुक्ल, द्वादशी , विक्रम संवत् २०८०, सोमवार (दिनांक २२ जनवरी २०२४) के शुभदिन प्रभु श्रीराम के बालरूप नूतन विग्रह को श्री राम जन्मभूमि पर बन रहे नविन मंदिर के गर्भगृह में विराजमन करके प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी।

इस अवसर पर अयोध्या में अभूतपूर्व आनंद का वातावरण होगा। आप भी प्राण प्रतिष्टा के दिन (पूर्वाहन ११:०० बजे से अपरहण १:०० बजे के मध्य) अपने ग्राम, मोहल्ले, कॉलोनी, में स्थित किसी मंदिर में आस-पड़ोस के रामभक्तों को एकत्रित करके भजन-कीर्तन करें। टेलीविजन अथवा पर्दा    (LED स्क्रीन) लगाकर श्री अयोध्या धाम के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का कार्यक्रम समाज को दिखायें। शंखनाध और घंटा बजाकर आरती करें, प्रसाद वितरण करें।

कार्यक्रम का स्वरुप मंदिर पर केन्द्रित रहे, अपने मंदिर में स्थित देवी-देवताओं का भजन-कीर्तन, आरती-पूजा तथा “श्रीराम जय राम, जय जय राम” विजय महामंत्र का १०८ बार समिहिक जाप करें। इसके साथ हनुमान चालीसा, सुन्दरकांड, राम रक्षा स्त्रोतम आदि का सामूहिक पाठ भी कर सकते हैं। सम्पूर्ण वातावरण सात्विक एवं राममय हो जायेगा, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का दूरदर्शन द्वारा सीधा प्रसारण किया जायेगा, अन्य टीवी चैनलों के माध्यम से भी  प्रसारण किया जायेगा।

श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र द्वारा निवेदन किया गया है कि  प्राण-प्रतिष्ठा के दिन सायंकाल सूर्यास्त के बाद अपने घर का सामने देवताओं के प्रसन्नता के लिए दीपक जलाएं; दीपमालिका सजाएं, विश्व के करोड़ों घरों में दीपोत्सव मनाया जाये। आपसे सभी से निवेदन है कि प्राण-प्रतिष्ठा दिन के उपरांत प्रभु श्रीरामलला” तथा नवनिर्मित मंदिर के दर्शन हेतु अपने अनुकूल समयानुसार अयोध्याजी में सपरिवार पधारें। एवं श्री राम जी की कृपा प्राप्त करें।

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