ISRO, MISHAN GAGANYAN KYA HAI-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक महत्वपूर्ण संगठन है जो भारत को अंतरिक्ष और उपग्रह क्षेत्र में गर्वित बनाता है ISRO का मुख्य कार्यक्षेत्र अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रक्षिप्तियों का विकसन है, और यह भारतीय सांचना को विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता और सफलता के साथ प्रस्तुत करता है। ISRO का संगठन 1969 में स्थापित किया गया था, और इसका मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में है। ISRO का प्रमुख उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनना है, और यह उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरा कर रहा है।
लक्ष्य
- अंतरिक्ष तक पहुंच बनाने के लिए प्रमोचक रॉकेट वाहनों व तत्संबंधित प्रौद्योगिकियों का अभिकल्प्न व विकास।
- भू-पर्यवेक्षण, संचार, दिशानिर्देशन, मौसमविज्ञान तथा अंतरिक्षविज्ञान के लिए उपग्रहों व तत्संबंधित प्रौद्योगिकियों का अभिकल्पंव विकास।
- दूरसंचार, टेलिविज़न प्रसारण तथा विकास संबंधित अनुपयोगों के लिए भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इन्सैट) कार्यक्रम।
- उपग्रह अधारित चित्रों द्वारा प्राकृतिक संसाधानों के प्रबंधन तथा पर्यावरण के माँनिटरन के वास्ते भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आईआरएस) कार्यक्रम।
- सामाजिक विकास तथा आपदा प्रबंधन में सहायता के लिए अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोग।
- वैश्विक अंतरिक्ष बाजार मेंमहत्वउपूर्ण भूमिका के लिए निजी कंपनियों को संवर्धित एवं प्राधिकृत करना।
उद्देश्य
- संचार उपग्रहों की डिजाइन, विकास एवं निर्माण।
- भू-प्रेक्षण उपग्रहों की डिजाइन, विकास एवं निर्माण।
- नौसंचालन उपग्रह प्रणालियों का विकास।
- अंतरिक्ष विज्ञान तथा ग्रहीय अन्वेषण के लिए उपग्रहों का विकास
- भू-प्रेक्षण अनुप्रयोग। सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्ष आधारित प्रणालियां।
- उन्नजत प्रौद्योगिकियां, नीतभार तथा नई पहलें।
- प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण तथा शिक्षा।
- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का प्रचार-प्रसार।
- अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए अवसंरचना / सुविधा विकास।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से उत्पशन्नध उत्पाादों एवं सेवाओं की वाणिज्यिक उपयोगिता।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में भारतीय निजी कंपनियों का संवर्धन एवं प्राधिकरण।
- भू-प्रेक्षण उपग्रहों की डिजाइन, विकास एवं निर्माण।
- नौसंचालन उपग्रह प्रणालियों का विकास।
- अंतरिक्ष विज्ञान तथा ग्रहीय अन्वेषण के लिए उपग्रहों का विकास
इसरो पर एक नजर !
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने स्थापना से लेकर अबतक अनेक महत्वपूर्ण और सफल मिशनों का संचालन किया है। यहां ISRO के मुख्य कार्यक्षेत्रों और महत्वपूर्ण मिशनों की एक संक्षेपिक जानकारी है:
- आर्यभट्टा (1975): ISRO का पहला उपग्रह, आर्यभट्टा, सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था, जिससे भारत ने स्वतंत्र उपग्रह प्रक्षिप्त करने की क्षमता प्राप्त की।
- स्लेट कैट (1983): इसरो ने भारतीय उपग्रह प्रौद्योगिकी का विकसन किया और स्लेट कैट उपग्रह को सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किया, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयोगी था।
- चंद्रयान-1 (2008): यह मिशन भारत को चंद्रमा के पास ले गया और उसे ग्रहण किया, जिससे भारत ने चंद्रमा पर पहला प्रक्षिप्त उपग्रह बनाया।
- मंगलयान (Mangalyaan): ISRO ने 2013 में मंगल ग्रह के पास एक स्वागत गुब्बारा भेजने के लिए मंगलयान का प्रक्षिप्त किया। यह मानव इतिहास में पहला मंगल ग्रह पर सफल मिशन था, और भारत ने इससे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की।
- चंद्रयान-2 (2019): इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन को शुरू किया, जिसमें भारत ने चंद्रमा के दक्षिण पोल पर एक विक्रम उपग्रह प्रक्षिप्त किया, हालांकि विक्रम की क्रैश हो गई, लेकिन इससे भी भारत ने महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किया। हमारे भारतीय वैज्ञानिको ने हार नहीं मानी और 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान ३ को चाँद कि धरती पर सफलता पूर्वक प्रक्षिप्त किया ।
- नाविक (NAVIC): ISRO ने नाविक सतेलाइट प्रणाली का विकसन किया, जिससे भारत को स्वतंत्र नेविगेशन सेवाएँ प्रदान करने की क्षमता मिली है।
- उपग्रह सेवाएँ: ISRO ने अंतरिक्ष में उपग्रह सेवाएँ प्रदान की है, जैसे कि उपग्रह डेटा, उपग्रह प्रक्षेपणा, और सैटेलाइट किराया, जिससे विशेषज्ञों और उद्योगों को उपग्रह की सेवाओं का लाभ मिला है।
- स्वयं चलने वाले अंतरिक्ष सयान: ISRO ने स्वयं चलने वाले अंतरिक्ष सयान के विकसन का काम किया है, जिससे अंतरिक्ष में लड़ाई करने वाले युद्ध सयान के रूप में उपयोग किया जा सकता है। ISRO के साथ ही, यह संगठन भारतीय तकनीकी क्षमता को बढ़ावा देता है और देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में सहायक हो रहा है।
इसरो ISRO का मिशन गगनयान।
गगनयान परियोजना में 3 सदस्यों के चालक दल को 3 दिनों के मिशन के लिए 400 कि.मी. की कक्षा में प्रक्षेपित करके और उन्हें भारतीय समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है। परियोजना को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के पास उपलब्ध अत्याधुनिक तकनीकों के साथ-साथ आंतरिक विशेषज्ञता, भारतीय उद्योग के अनुभव, भारतीय शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों की बौद्धिक क्षमताओं को ध्यान में रखते एक इष्टतम रणनीति के माध्यम से पूरा किया जाना है। गगनयान मिशन के लिए पूर्व-आवश्यकताओं में कई महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास शामिल है, जिसमें मानव अनुकूल प्रमोचन यान, अंतरिक्ष में चालक दल को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए, अंतरिक्ष में चालक दल को पृथ्वी जैसा वातावरण प्रदान करने के लिए जीवन समर्थन प्रणाली, चालक दल के आपातकालीन निकास का प्रावधान और प्रशिक्षण, चालक दल की वापसी और पुनर्वास के लिए चालक दल के प्रबंधन पहलुओं को विकसित करना शामिल है।
वास्तविक मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन को अमल में लाने से पहले प्रौद्योगिकी की तैयारी के स्तर को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पूर्ववर्ती मिशनों की योजना बनाई गई है। इन प्रदर्शनकारी मिशनों में एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण (आई.ए.डी.टी.), पैड एबॉर्ट परीक्षण (पी.ए.टी.) और परीक्षण यान (टी.वी.) उड़ानें शामिल हैं। मानवयुक्त मिशन से पहले मानव रहित मिशनों में सभी प्रणालियों की सुरक्षा और विश्वसनीयता को सिद्ध किया जाएगा। एच.एस.एफ.सी. का प्राथमिक अधिदेश समन्वित प्रयासों के माध्यम से इसरो के गगनयान कार्यक्रम का नेतृत्व करना है और मिशन को पूरा करने की दिशा में अन्य इसरो केंद्रों, भारत में अनुसंधान प्रयोगशालाओं, भारतीय शिक्षाविदों और उद्योगों में की जाने वाली सभी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना है। एच.एस.एफ.सी., मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों के प्रमुख केंद्र के रूप में, जीवन समर्थन प्रणाली, मानव कारक इंजीनियरिंग, जैव-वैमानिकी, कर्मीदल प्रशिक्षण और मानव अनुकूलन और प्रमाणन जैसे नए प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को शुरू करने में विश्वसनीयता और मानव सुरक्षा के उच्च मानकों के अनुरूप है। ये क्षेत्र भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान गतिविधियों जैसे कि मिलन स्थल और डॉकिंग, अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण और चंद्रमा/मंगल और निकट-पृथ्वी क्%